डीएपी खाद की कालाबाजारी से परेशान किसान, खुलेआम जारी है लूट का खेल
अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ ने की प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
कासगंज।कृषि प्रधान देश भारत में आज भी किसान सबसे अधिक संघर्ष कर रहा है। एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के वादे कर रही है, वहीं दूसरी ओर डीएपी खाद की कालाबाजारी ने गरीब और लाचार किसानों की कमर तोड़ दी है।
जिले के विभिन्न ब्लॉकों और गाँवों में डीएपी खाद के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। कई केंद्रों पर किसान सुबह से लाइन में लग जाते हैं, लेकिन दोपहर तक खाली हाथ लौटना पड़ता है। दूसरी ओर यही खाद खुले बाजार में ऊँचे दामों पर बिक रही है।
जहाँ सरकारी दर ₹1350 प्रति बैग निर्धारित है, वहीं कई दुकानदार ₹1800 से ₹2000 तक वसूल रहे हैं।
किसानों का कहना है कि कई बार खाद गोदामों में होते हुए भी उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि “स्टॉक खत्म है।” लेकिन शाम होते-होते वही खाद कुछ खास लोगों के माध्यम से महँगे दामों पर बिक जाती है।
कासगंज तहसील क्षेत्र के किसान रामवीर सिंह ने बताया, “फसल बोने का समय निकल रहा है, पर खाद नहीं मिल रही। मजबूरी में महँगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है।”
इसी तरह किसान अशोक पांडे ने कहा कि अगर सरकार सख्ती नहीं करेगी तो गरीब किसानों की फसलें बर्बाद हो जाएँगी।
इस गंभीर स्थिति को लेकर अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ ने भी चिंता व्यक्त की है।
संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेश शर्मा ने कहा कि डीएपी खाद की कालाबाजारी किसानों के साथ अन्याय है। सरकार किसानों के हित में काम करने का दावा करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है। उन्होंने कहा कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो संघ जिला प्रशासन और कृषि विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को बाध्य होगा।
संघ ने मांग की है कि डीएपी खाद की आपूर्ति प्रणाली को पारदर्शी बनाया जाए, कालाबाजारी में लिप्त दुकानदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए, तथा प्रत्येक गाँव में किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
देश के अन्नदाता की यह पुकार अब सरकार और प्रशासन तक पहुँचनी चाहिए। समय रहते सुधार न हुआ, तो इसका सीधा असर आगामी फसल उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे अन्न संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

Author: Soron Live 24



