Soron Live 24

महाकुंभ:में तीर्थयात्रियों की बढ़ी संख्या, जानें कितनी फीसदी बढ़ा यूपी में पर्यटन

महाकुंभ:में तीर्थयात्रियों की बढ़ी संख्या, जानें कितनी फीसदी बढ़ा यूपी में पर्यटन


प्रयागराज।सुविधाओं के अभाव में पहले कुंभ में संगम में आस्था की डुबकी लगाना दुरुह था।एक वर्ग इच्छा होते हुए भी कुंभ में संगम में आस्था की डुबकी लगाने से वंचित रह जाता था। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाओं का ही असर है कि इस बार लगभग 45 करोड़ से ज्यादा श्रध्दालु संगम में आस्था डुबकी लगाएंगे।इन श्रद्धालुओं में 12 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु ऐसे होंगे,जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं। देश-विदेश के उद्योगपतियों का लगातार महाकुंभ में आना और निवास इसी का संकेत है। योगी सरकार की सुगम व्यवस्थाओं का ही असर है कि आध्यात्मिक पर्यटन की ग्रोथ 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है।बता दें कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन तेजी के साथ बढ़ रहा है।राम नगरी अयोध्या, आध्यात्मिक नगरी काशी और धर्म नगरी मथुरा के साथ महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कई गुना संख्या बढ़ी है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इंदौर के प्राध्यापक प्रोफेसर शेखर शुक्ला की स्टडी के मुताबिक महाकुंभ केवल 45 दिन ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगा। दुनिया में पहली बार ऐसे हुआ है जब किसी मेला या धार्मिक तीर्थाटन को नए नगर का दर्जा दिया गया हो।

प्रोफेसर शेखर शुक्ला के मुताबिक वर्ष 1977 से वर्ष 2025 तक के महाकुंभ पर आने वाले श्रद्धालुओं का डाटा देखें तो वर्ष 2013 से श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। प्रत्येक कुंभ के साथ इसमें 100 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ दर्ज की जा रही है। वर्ष 2001 में जहां 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने कुंभ स्नान किया था, वहीं ये संख्या बढ़कर वर्ष 2019 में 24 करोड़ हो गई। इस बार ये रिकार्ड 40 करोड़ से बनेगा। पिछले दस वर्ष में यूपी में हुए तीन कुंभ पर खर्च की गई धनराशि 1300 करोड़ से बढ़कर 7500 करोड़ रुपये हो गई है। साफ है कि यूपी में कुंभ को लेकर दी जा रही सुविधाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यात्रा सुगम और सुविधाजनक होने से कुंभ तक पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 35 देशों की आबादी के बराबर होने का आंकलन है।

यूपी में आयोजित कुंभ मेले में बढ़ती गई श्रध्दालुओं की संख्या

वर्ष संख्या
1977-1.5 करोड़
1983- 1.27 करोड़
1989- 2.9 करोड़
1995- 4.95 करोड़
2001- 7 करोड़
2007- 7 करोड़
2013- 12 करोड़
2019 -24 करोड़
2025- 40 करोड़ (अनुमान)

आईआईएम प्रोफेसर शेखर शुक्ला के मुताबिक कुंभ में शोध कार्यों को लेकर दुनियाभर में रुचि बढ़ती जा रही है। वर्ष 2000 के बाद कुंभ या उससे जुड़े विषयों पर निरंतर शोध चल रहा है। वर्ष 2023-24 में स्कोपस डाटाबेस के अनुसार 25 से ज्यादा शोध कुंभ की थीम पर किए गए हैं। कुंभ के प्रति दुनियाभर के शोधकर्ताओं में बढ़ती रुचि बेहद महत्वपूर्ण है। साफ है कि कुंभ न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक उत्सव ही नहीं है बल्कि उसका सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व भी है।

प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि कुंभ की वजह से बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर खर्च की गई धनराशि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देगा। देश में धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े केंद्र के रूप में यूपी उभरेगा। वैश्विक कंपनी कोहेरेंट मार्केट इनसाइट्स के मुताबिक यहां आध्यात्मिक पर्यटन 15 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2030 तक 3200 मिलियन डालर का बाजार होगा, जिसमें यूपी की भागीदारी सबसे बड़ी होगी।

Soron Live 24
Author: Soron Live 24

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *