कासगंज यूपी:13 अक्टूबर को पंचकोशीय परिक्रमा एकादशी के अवसर पर तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र में लगाईं जायेगी। पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष शरद पांडे ने बताया कि 13 अक्टूबर को एकादशी के अवसर पर वराह मंदिर से सुबह 6 बजे परिक्रमा होगी शुरू।सूकरक्षेत्र सोरों जी की पंचकोशी परिक्रमा प्रत्येक एकादशी को भगवान वाराह मंदिर प्रांगण से गंगा स्नान कर भगवान वराह का पूजन अर्चन करने के उपरांत प्रारंभ होती है।13 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी को लगने वाली पंचकोशीय परिक्रमा के बारे में बताते हुए कहा – आदितीर्थ शूकरक्षेत्र धाम, सोरों जी पंचकोशीय परिक्रमा हर की पौड़ी श्री गंगा जी मैं श्रद्धालुओं द्वारा स्नान करने के उपरांत भगवान वराह मंदिर से भगवान वराह का पूजन अर्चन करने के बाद प्रातः 8:00 बजे शूकर क्षेत्र पंचकोसी प्रारंभ होगी | योगेश उपाध्याय विनोद दीक्षित खूब सिंह रामदयाल वर्मा ने सभी श्रद्धालु धर्म प्रेमियों से अधिक से अधिक संख्या में पंचकोशीय परिक्रमा में भाग लेने की अपील करते हैं शरद कुमार पांडे ने पापा कौन सा एकादशी तिथि एवं महत्व के बारे में बताया – पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09:08 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 14 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 06:41 मिनट पर होगा। पापांकुशा एकादशी का व्रत पारण 14 अक्टूबर 2024 को दोपहर 01.16 से दोपहर 03.34 के बीच किया जाएगा. एकादशी का व्रतग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम कर देता है क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है.
अश्विन शुक्ल एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. मनुष्य कठिन तपस्या कर फल प्राप्त करते हैं, वही फल पापाकुंशा एकादशी से मिलता है और मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पड़ते हैं. एकादशी साधक के सभी पापों को कुशलता पूर्वक हर लेती है और उसके जीवन को सुखमय बनाने में सहायता करती है. पापांकुशा एकादशी
असहाय लोगों को दान और ब्राह्मण को भोजन कराते हैं.
इस दिन श्रीहरि की पूजा करने वालों को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद वो मोक्ष को प्राप्त होता है