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शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना: के ए कॉलेज, कासगंज के शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन

शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना: के ए कॉलेज, कासगंज के शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन

कासगंज, 20 सितंबर 2024 (शुक्रवार) – केंद्र सरकार की शिक्षा विरोधी और शिक्षक विरोधी नीतियों के विरोध में आज के ए कॉलेज, कासगंज के शिक्षकों ने ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स संगठन (ऑल इंडिया फुक्टो), फुपुक्टा और रम्पुटा के आह्वान पर एकजुट होकर धरना दिया। इस विरोध प्रदर्शन में सभी शिक्षक इकाई के सदस्यों ने हिस्सा लिया और वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की।

धरना प्रदर्शन का आयोजन सुबह 11 बजे से कॉलेज परिसर में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए सरकार की नई शिक्षा नीति और अन्य शिक्षक विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना की। उनका आरोप था कि वर्तमान सरकार द्वारा बनाई गई नीतियाँ न केवल शिक्षकों के अधिकारों को कुचलने का काम कर रही हैं, बल्कि शिक्षा के स्तर को भी गिरा रही हैं।

विरोध के मुख्य कारण

शिक्षकों का कहना है कि सरकार की शिक्षा नीति, जो निजीकरण और व्यापारीकरण की ओर इशारा करती है, शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इसके साथ ही, शिक्षकों की सेवा शर्तों में लगातार कटौती हो रही है और उनके वेतन एवं सुविधाओं में भी कमी की जा रही है। धरने में भाग ले रहे शिक्षकों ने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षा क्षेत्र में अनुबंध आधारित नौकरियों का बढ़ता चलन स्थाई रोजगार की गारंटी को खत्म कर रहा है, जिससे युवा शिक्षकों के भविष्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। डॉ ए पी गुप्ता, डॉ मिथिलेश वर्मा, डॉ बृजेंद्र यादव, डॉ के के सिंह, डॉ उमेश यादव, डॉ संतोष कुमार, डॉ पवन कुमार दुबे, डॉ अनुपम पाठक, डॉ सबिस्ता अंजुम, डॉ अभिषेक, डॉ कुशहर साहनी, डॉ अंकित कौशल, डॉ अजीत यादव, डॉ हर्ष मिश्रा, डॉ प्रवीण सिंह जादौन आदि शिक्षक गणों ने धरने में भाग लिया।

शिक्षकों की प्रमुख मांगें

धरना प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने अपनी कुछ प्रमुख मांगें भी रखीं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल थे:
1. **शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण का विरोध**: शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा को निजी संस्थानों के हवाले करने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी और गरीब एवं मध्यम वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होगी।
2. **नियमितीकरण और स्थाई रोजगार की गारंटी**: अनुबंध आधारित शिक्षकों को स्थाई करने की मांग की गई, ताकि उनकी नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
3. **शिक्षकों की सेवा शर्तों में सुधार**: शिक्षकों के वेतन और अन्य सुविधाओं में कटौती के फैसलों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
4. **शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध। शिक्षकों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि शिक्षा नीति में सरकार का अत्यधिक हस्तक्षेप शिक्षा की स्वतंत्रता को बाधित कर रहा है।

धरना स्थल पर कई शिक्षकों ने सभा को संबोधित किया। वक्ताओं ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे अपना विरोध और तेज करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक संघों को एकजुट होकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन करने की आवश्यकता है, ताकि सरकार को उनके अधिकारों की अनदेखी करने से रोका जा सके।

शिक्षक संघ के प्रमुख नेताओं ने कहा, “हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं। अगर शिक्षा का व्यापारीकरण हो गया, तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा।

इस धरने के साथ ही, पूरे देश में कई जगहों पर शिक्षक संघों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ऑल इंडिया फुक्टो, फुपुक्टा और रम्पुटा के नेतृत्व में यह आंदोलन देशभर में फैल रहा है। कई राज्यों में भी शिक्षक संघों ने इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है और आने वाले दिनों में आंदोलन को और अधिक व्यापक बनाने की योजना है।

सरकार से अपील

धरने के अंत में, शिक्षकों ने सरकार से अपील की कि वे जल्द से जल्द उनकी मांगों को स्वीकार करें और शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाएं। शिक्षकों का यह भी कहना था कि अगर सरकार उनकी मांगों को अनदेखा करती रही, तो वे भविष्य में हड़ताल पर भी जा सकते हैं।कासगंज के ए कॉलेज के शिक्षकों का यह धरना सरकार को यह संदेश देने के लिए था कि शिक्षक समुदाय अपने अधिकारों और शिक्षा के स्तर को लेकर गंभीर है। यदि उनकी मांगों पर उचित ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बड़े पैमाने पर हो सकता है।

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Author: Soron Live 24

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