तुलसी शोध संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन
कासगंज। तुलसी शोध संस्थान सूकरक्षेत्र सोरों संस्थान के मीटिग हाल में 14 अगस्त को 11.30 बजे एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के दौरान संस्थान के निदेशक उमेश पाठक जी ने विषय स्वतन्त्रता आंदोलन में कासगंज जनपद का क्या योगदान रहा पर उपस्थित संस्थान के पदाधिकारियो व सदस्यो को विस्तार से जानकारी देते हुऐ बताया कि जनपद कासगंज की भी स्वतन्त्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही। जनपद मे सोरों एक धार्मिक तीर्थ स्थान है। यह उस समय क्रान्ति का प्रमुख केन्द्र बन गया था। सोरों के वीर देशभक्त देश की स्वाधीनता के संग्राम के लिए गांव गांव जाकर क्रान्ति की अलग जगा रहे थे। आवष्यक शस्त्रों का भी सग्रह कर लिया था। इनमें सदाशिव महेरे, रामनाथ तिवारी,चजुर्भुज वैष्य,सदासुख राय सक्सेना,विष्वम्भर कोठेवार, द्धारकादास पण्डा,हकीम रजबअली, चेतराम जाटव और बल्लू महतर स्थानीय क्रान्ति के प्राण थे। इन देषभक्त सेनानियो ने अपने बुद्धीबल से आस पास के बिट्स सत्ता के चिन्हो को मिटाकर नाना सहाब के सहायक के रूप मे स्वतन्त्रता सग्रांम छेड दिया था। अग्रेजो की फौज की टुकडी ने सोरों की ओर कूज किया। इन सभी क्रान्तिकारियो को बन्दी बना लिया गया। कुछ को गोली से उडाया गया। कुछ को फांसी पर लटका दिया गया। सदाशिव महेरे, उपनाम शिवदान ,रामनाथ तिवारी व चजुर्भुज वैष्य को कासगंज लाया गया। इन्हे कासगंज में नीम व पीपल के वृक्षो पर लटकाकर अन्य व्यक्तियों के साथ संगीनो से मौत के घाट उतार दिया गया था। स्वतन्त्रता आन्दोलन तीर्थ नगरी सोरों के स्वतन्त्रता सग्राम सेनानी वैद्य रामशरन पाराशरी, वैद्य देवशरन पाराशरी व सत्यनारायण पाण्डेय का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इनकी वीरता बुद्धीमत्ता ,सहास की कहानिया आज भी बडे बुजुर्गो के मुख से सुनी जाती है। आदि इसी प्रकार स्वतन्त्रता आंदोलन की विस्तार से जानकारी दी। संस्थान के सचिव राम करन आर्य ने भी स्वतन्त्रता आंदोलन के वारे में बताया। इस अवसर पर संगोष्ठी के दौरान संस्थान के निदेशक उमेश पाठक , सचिव राम करन आर्य, मीडिया प्रभारी विक्रम पाण्डेय ,समाज सेवी अशोक पाण्डेय , विनोद रावत व संस्थान के पदाधिकारियो व सदस्यो सहित कई दर्जनों की संख्या में छात्र एवं छात्रायें मौजूद रही।